आम का अचार !!!!

इस करोना काल ने बहुत कुछ सिखा दिया …. है ना??? हर कोई घर पे ही बहुत कुछ करने लगा। ऑफ़िस का काम घर से करना मुमकिन हो गया…..बिना बाहर गए खुद को entertain करना आ गया….. पुराने दोस्तों को बेवजह फ़ोन लगाना आ गया ……. हर किसी को ऑनलाइन पेमेंट लेना देना आ गया …..दादी नानी को नाती पोतो को Amazon से gifts भेजना आ गया ……कोई खाना बनाना सीख गया तो कोई अचार बनाना सीख गया …..!!!!!!!

मैंने भी पहली बार आज आम का अचार बनाया….. पहली बार इसीलिए क्यूँकि इससे पहले अचार तो सिर्फ़ मम्मी बना के दिया करती थी…. और इस corona ने कहीं आना जाना ही बंद करवा दिया … तो बेचारा अचार मम्मी के घर से कैसे आयें ☹️☹️ ।

अचार बनाने का बीड़ा भी मैंने खुद उठा तो लिया । सोचा बड़ा मुश्किल मुक़ाम है और ये तो दादी नानी वाला काम है । हो नही पाएगा … हो नही पाएगा ….. ये ख़याल दिल को डरा रहा था । फिर सोचा ये आम का मौसम तो फिर एक साल बाद आएगा …. इतना इंतज़ार हो ना पाएगा। चलो कमर कस लो और आज अचार बनाने का ये भारतीय हुनर सीख लो ।

हरे हरे ताजे ताजे कच्चे आम मँगाये (online) …..

और मम्मी को फ़ोन लगाया और बोला ….. मम्मी आज बेटी एक नया हुनर सीखने वाली है आपकी मदद लगेगी ….. मम्मी को टेन्शन आया कि इस technology के युग में मेरी मदद की ज़रूरत कहाँ से पड़ गयी। अब तो नाती गूगल करके बहुत कुछ मुझे सिखाता है । भला अब मैं किसी को क्या सिखाऊँगी । मैंने कहा मम्मी …. senti मत हो ….. मुझे अचार बनाना सीखना है ….. मम्मी ने सुनकर भी दुबरा पूछा … क्या बनाना है???? मैंने कहा अचार!!!! …. आम का अचार !!!!! मम्मी कुछ हक्की बक्की सी हो गयी …. की तू कैसे अचार बनायेगी …. मैंने कहा वही तो आप सिखाओगी ……. जैसे आप बनाती हो वैसे मैं भी बनाऊँगी। मम्मी को ख़ुशी हुई कि बाज़ार से हर चीज़ readymade मँगवा लेनी वाली बेटी इतनी मेहनत करने की इच्छा दिखा रही है। और उन्हें ये भी मालूम है बाज़ार के अचार में उनके हाथों का स्वाद नही है इसीलिए हर साल मेहनत से ढेर सारा अचार डाला करती हैं … इसी उम्मीद में कि बच्चे आएँगे तो लेके जाएँगे। पर इस corona ने बहुत से मम्मियों की आस इस आस को तोड़ा है।

मम्मी ने बड़े गर्व से अपनी अचार की recipe मुझ से share की …. और मसालों की list बनवा दी । और कहा जा बेटी जा ….. जी ले अपनी ज़िंदगी और बना डाल आज अचार 😜😜😜

मैंने आम काटा और फटाफट मसाले इक्कठे किये …..और मम्मी की निर्देशानुसर … I mean जैसे मम्मी ने बताया वैसे वैसे करते गयी

कच्ची कैरी की खटास …. मुँह में चटकार दे गयी । अभी तो अचार शुरुआत ही हुई थी……. और ढेर सारी यादें सामने आ गयी …. अपना शहर अपना घर और आँगन सब जैसे यहीं आ गया😍😍😍
मसालों की सुगंध बचपन के गलियारों में ले गयी ……. ख़ुशबू ऐसी आयी मानो स्कूल में अचार पराँठे वाला टिफ़िन बॉक्स खुला हो 😍😍😍😍
आज तक जिसे मुश्किल समझ कर कभी बनाने की कोशिश ही नही की वो तो असल में बहुत आसान है……. यादों का खट्टा मीठा पिटारा ही तो अचार है 😀😀😀😀
तो इस कला … इस धरोहर को लुप्त ना होने दे……. अपनी माँ दादी नानी या किसी बड़े से जब मौक़ा मिले अचार बनाना सीखें ……और ढेर सारी ख़ुशियों का बिना खर्च आनंद उठायें ……..। ये सिर्फ़ एक पाककला नही है ये एक भारतीय परम्परा है जिसे आने वाली पीढ़ी को पहुँचाना हमारी भी ज़िम्मेदारी है 🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗🤗

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